22 अप्रैल, 2012

उसे क्या कहें

मखमली दुर्वा को गलीचा समझ 
की अटखेलियाँ किरणों से 
फिर भी गहरी उदासी से 
मुक्ति ना मिल पाई 
निहारता दूर क्षितिज में
नेत्र बंद से होने लगते 
 खो जाता दिवा स्वप्न में 
सत्य से बहुत दूर 
नहीं चाहता कोई कुछ कहे 
है वह क्या ?आइना दिखाए 
कठिनाइयों से भेट कराए 
भूले से यदि हो सामना 
निगाहें चुराए मिलना ना चाहे
या फिर आक्रामक रुख अपनाए 
कैसे  बीता कल भूल गया 
ना ही चाहता जाने 
होगा क्या कल 
प्रत्यक्ष से भी दूर भागता 
ऐसे ही जीना वह चाहता 
उसे क्या कहें |
आशा


29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 23-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-858 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  2. कभी-कभी यही सोच मन मस्तिष्क पर अधिकार कर लेती है ! सुन्दर रचना ! अच्छी लगी !

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  3. जो यथार्थ से सामना न करना चाहे उसे दिवा स्वप्नदर्शी कहा जाता है :):) अच्छी प्रस्तुति

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    1. आपने बहुत सही सोचा |टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

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  4. उत्तर
    1. कभी सुझाव भी दिया कीजिये | उनसे लेखन को बल मिलता है |

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  5. कहिये उसे अन्यमनस्कता ,अवसाद या पलायन ,होता है ऐसा कभी कभार सबके साथ ,लेकिन होने लगे जब अति ,कुछ न लगे अच्छा प्रकृति लगे बीमार ,तो समझो वह आदमी ही है बीमार, जो अपनी हताशा प्रकृति पे थोप रहा है .बढ़िया पोस्ट भाव विरेचन करती करवाती .

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  6. उत्तर
    1. धन्यवाद कविता जी टिप्पणी के लिए |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें

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  7. कैसे बीता कल भूल गया
    ना ही चाहता जाने
    होगा क्या कल
    कल का आभास किसे हुआ है भला

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    उत्तर
    1. पंक्तिया अच्छी लगीं जान कर प्रसन्नता हुई |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |

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