16 मार्च, 2016

ऐसा भी होता है


kabhii shaam kabhii dhoop के लिए चित्र परिणाम
रूठने मनाने में
 उम्र गुजर जाती  है
 शाम कभी होती है
 कभी धूप निकल आती है
 चंद दिनों की खुशियों से
जिन्दगी सवर जाती है
चाँद तारों की बातें
महफिलों  में हुआ करती हैं
जिनके चर्चे पुस्तकों  में
भी होते रहते हैं 
सब भूल जाते हैं 
उनके अलावा भी
 है बहुत कुछ ऐसा 
रौशन जहां करने को 
मन के कपाट खोलने को 

जिसके बिना मंदिर सूने 
है वही जो मन को छू ले
जंगल में मंगल चाहो तो
वहां भी कोई तो है 
अपनी चमक से जो
 उसे रौशन कर जाता है
भव्य उसे बनाता है
कारण समझ नहीं आता
उनपर ध्यान न जाने का
 माध्यम लेखन का बनाने का
बड़े बड़ों के बीच बेचारे
नन्हे दीपक दबते जाते
जुगनू कहीं खो जाते
अक्सर ऐसा होता
 उन्हें भुला दिया जाता 


उन पर कोई अपनी

कलम नहीं चलाता |
आशा