07 दिसंबर, 2017

स्वप्न मेरे



हो तुम बाज़ीगर सपनों के 
जिन्हें तुम बेचते हो तमाशा दिखा कर 
मेरे पास है स्वप्नों का जखीरा 
क्या खरीदोगे कुछ उनमें से ?
पर जैसे हों वही दिखाना 
कोई काट छाँट नहीं करना  !
हर स्वप्न अनूठा है अपने आप में 
परिवर्तन मुझे रास नहीं आता  ! 
नए किरदार नए विचारों को 
संजोया है मैंने उनमें  !
बंद आँखों से तो अक्सर 
सपने देखे ही जाते हैं 
कुछ याद रह जाते हैं 
अधिकांश विस्मृत हो जाते हैं  !
खुली आँखों से देखे गए सपनों की 
बात है सबसे अलग  !
होते हैं वे सत्यपरक 
अनोखा अंदाज़ लिए ,
नवीन विचारों का सौरभ है उनमें  !
ऊँची उड़ान उनकी अनंत में 
बहुत रुचिकर है मुझे 
तभी वे हैं अति प्रिय मुझे ! 


आशा सक्सेना