11 सितंबर, 2017

जीवन संगीत


जब स्वर आपस में टकराएँ 
कर्कश ध्वनि अनंत में बिखरे 
पर जब स्वर नियमबद्ध हो 
गुंजन मधुर हो जाए !
यही मधुरता 
गूंजने लगे चहुँ दिशि
मन में मिश्री घुल जाए 
और पूर्ण कृति हो जाए ! 
मनोभाव शब्दों में उतर कर 
कुछ नया सोच 
दिल को छुए 
मधुर संगीत का हो सृजन 
उदासी आनंद में बदल जाए ! 
प्यार, प्रेम का जन्म हो 
अद्भुत पलों का हो अहसास 
जीवन में संगीत ही संगीत हो 
हर पल, हर लम्हा 
संवर जाए ! 

आशा सक्सेना