28 जुलाई, 2017

नैनों में सुनामी




दो नैनों के नीले समुन्दर में 
तैरती दो सुरमई मीन 
दृश्य मनमोहक होता 
जब लहरें उमड़तीं 
पाल पर करतीं वार 
अनायास सुनामी सा 
कहर टूटता 
थमने का नाम नहीं लेता ! 
है ये कैसा मंज़र 
न जाने कब 
नदी का सौम्य रूप 
नद में बदल जाता ! 
हृदय विदारक पल होता 
जब गोरे गुलाबी कपोलों पर
अश्रु आते, सूख जाते हैं 
निशान अपने छोड़ जाते हैं ! 


आशा सक्सेना 







23 जुलाई, 2017

कुण्डली हाइकू



गाड़ी न छूटे
वक्त पर पहुँचो 
पकड़ो गाड़ी  

दबंग बनो 
किसीसे मत डरो
रहो दबंग 

राज़ की बात 
किया जो परिहास 
दुःख का राज़ 

दिया जलाया 
घर भी जला दिया 
क्यों दर्द दिया 

जागृत नैन 
सचेत तन मेरा 
मन जागृत 

खिलाये फूल 
थोड़ी सी भी रिश्वत 
बिना खिलाये 

आया सैलाब 
छिपा है आफताब 
तूफ़ान आया 

हवा जो चली 
पाश्चात्य फैशन की 
बिगड़ी हवा 

हुई आहट
द्वार पर किसकी 
आमद हुई ! 

सावन आया 
चमके बिजुरिया 
भाया सावन ! 

आशा सक्सेना