11 मार्च, 2017

फागुनी हाईकू



उड़े गुलाल
केशर की फुहार
वृन्दावन में

होली खेलती
फगुआ मांग रहीं
गोपियाँ यहाँ 



होली फूलों की
मथुरा में कान्हां खेले
भक्तों के संग

लट्ठ मारती
होली गौरी खेलती
बरसाने में 


रंग गुलाल
भाए न प्रियतम
तुम्हारे बिना


कान्हां खेलता
होली बरसाने में
  गोपियों संग

केशर होली
मोहन खेल रहे
राधा के संग 



रंग गुलाल
पिचकारी की धार
न सह पाती

डालो न रंग
खेलना चाहूँ होली
मोहन संग



फागुनी गीत
रंग से भीगे तन
मन उलझे

प्रियतम हो
वही बने रहते
उसे रंगते 


गुजिया मठ्ठी
गुलाल लगाकर
उसे खिलाई

मिठास बढ़ी
सौहार्द आपस में
बढ़ता गया

आशा

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