03 दिसंबर, 2016

बाई पुराण


बाई मेरे तुम्हारे बीच
बड़ा पुराना रिश्ता था
पैसे से न तोला जिसे
 बच्चे तक लगाव  रखते थे तुमसे 
शायद तब शरीर सक्षम था मेरा 
मैं तुम पर आश्रित न थी
जब भी कोई मेहमान आता
तुम अपना फर्ज निभाती थीं
पूरे मनोयोग से काम करतीं 
उनका दिल जीत ले जातीं थीं
मैंने कभी न तुम से पूंछा
क्या तुमने उनसे पाया
मैंने तो पूरी शिद्दत से
अपना फर्ज निभाया
जब जब तुमने छुट्टी चाही
अवमानना न की तुम्हारी
पर अचानक एक दिन
 तुम में बड़ा परिवर्तन आया
तुम अधिक ही सचेत हो गईं
अपने अधिकार रोज गिनातीं
कर्तव्य अपने भूल गईं
हर बात पर अपनी तुलना
मुझसे करने लगीं
कर्तव्य और अधिकारों की खाई
अधिक गहरी होने लगी
पर अब अधिकारों के गीत
मुझे प्रभावित नहीं कर पाते
मैं असलियत की तह  तक
 पहुँच गई हूँ
उम्र के इस पड़ाव पर
निर्भरता जब से बढ़ी है
तुम मुझ पर हावी हो गई हो
अब भावनात्मक लगाव हुआ  गौण
है प्रधान पैसा तुम्हारे लिए
एक और बात मैंने देखी है
 तुम हो असंतुष्ट अपने जीवन से 
तभी उल्हाने तानेबाजी 
आएदिन होती रहती है 
है पैसा प्रधान तुम्हारे लिए 
संवेदना विहीन अब हो गई हो |

आशा





30 नवंबर, 2016

शत शत नमन

भारत माता के सच्चे सपूत
देश के रखवाले
तुम्हें शत शत नमन
दिन रात सुरक्षा
सीमा की करते
उत्साह क्षीण न होने देते
तुम्हें मेरा प्रणाम
वह मां है बहुत भाग्यशाली
जिसने जन्म दिया
तुम जैसे वीर सपूत को
उसे शत शत नमन
तुम्हारी वीरता के चर्चे
पूरा देश कर रहा
जाती धर्म वर्ग से हटकर
वीरता के चर्चे कर रहा
तुम्हें शत शत नमन
देश है हमारा
उसके लिए जियेंगे
उसके लिए ही
जान न्योछावर करेंगे
यही जज्बा यही शक्ति
मन में धारण करने वाले
देश के रक्षक
तुम्हें मेरा सलाम |