27 दिसंबर, 2016

स्वागत नव वर्ष का

 
 
नूतन वर्ष ने फिर से 
दी है दस्तक दरवाजे पर 
नवल सोच नव विचार
 लाएगा आनेवाला कल |
आज रात नाचें गाएं 
जी भर कर खुशियाँ बाँटें 
यही यादें तो रह जाएंगी 
बीते कल  में सिमट कर |
बाद में जब भी सोचेंगे 
उनपर दृष्टिपात करेंगे 
समस्त चित्र समक्ष होंगे 
मन में सजा लेने को |
नवल किरणों से सुसज्जित 
नव वर्ष का सूरज होगा 
उल्लास लिए विचार होंगे 
उदासी का नामों निशाँ न होगा|
हिलमिल कर स्वागत करें 
नववर्ष के आगमन का 
नव विचार आत्मसात करें 
 समरिद्धि का आग़ाज करें |
 
आशा




23 दिसंबर, 2016

हैप्पी क्रिसमस

नित नए अभियान चले है 
देश के उत्थान के 
सारा देश हुआ व्यस्त 
स्वच्छता अभियान में 
बच्चे बूढ़े और युवा 
प्रतिभागी इसके बने हैं
सभी योगदान देते हैं 
कचरा यथास्थान डालते 
पर्यावरण  सवारते 
है कल हमारा त्यौहार 
वर्ष भर रहा जिसका इन्तजार 
हमने भी एक स्वप्न सजाया 
अपने घर को स्वच्छ बनाया 
किया आयोजन
 एक प्रतियोगिता का 
सब ने बढचढ कर
 भाग लिया है 
अपना अपना नाम लिखाया
है नाम इसका भी 
स्वच्छता अभियान हमारा 
नन्हें मुन्ने बच्चों  आओ
 पहले अपना कक्ष सजाओ 
फिर खुदपर भी ध्यान धरो 
अपना अपना रूप सवारों 
जोभी स्वयं सज जाएगा 
कक्ष  भी  जिसका स्वच्छ सुघड़ 
वही होगा हकदार 
उस अनमोल तोहफे का 
 कल जब जिंगल बैल बजेगी 
महमान हमारा संताक्लाज
तोहफे ले कर आएगा 
सबसे बड़ा तोहफा उसको देगा 
गर्व से सर  उन्नत  हो जाएगा 
फिर केक काट सब को बांटेंगे 
लोग उसे बाहों में लेंगे
प्रेम का इजहार करेंगे
और कहेंगे हैप्पी क्रिसमस
मैरी क्रिसमस |
आशा




21 दिसंबर, 2016

अनजानी इबारत



दिल की दीवार पर
कुछ आज लिखा देखा
नहीं किसी जैसा
पर जाने क्यूं आकृष्ट करता
बहुत सोचा याद किया
फिर मन ने स्वीकार किया
याद आगई वह इबारत
जब कलम भी न पकड़ी थी
मम्मीं की कलम से रोज
उनकी ही कॉपी में
लड्डू बनाया करती थी
उसपर भी रोजाना
तारीफ पाया करती थी
उससे जो प्रसन्नता होती
आज तक न मिली
तब कलम नहीं छूटती थी
अब कोई वेरी गुड
 देने वाला नहीं मिला |
आशा

19 दिसंबर, 2016

अग्नि(हाइकू )


१ -
है तेरा प्यार
दहकता अंगार
कभी न बुझे |
२-
साथ पुष्प के
कंटक भी जलाते
बच  न पाते |
३-
अग्नि मन की
बेचैन किये जाती
शान्ति न रहती |
४-
नयन तारा
माता का था  दुलारा
शहीद हुआ |
५-
पेट की आग
करती हाहाकार
विश्राम नहीं |
६-
वन कि आग
हुई अनियंत्रित
जलाती गई |
७-

दाह अग्नि  का 
जलाता तन मन 
जब भभके |

आशा




16 दिसंबर, 2016

कपोत




-हे विहग शांति के प्रतीक
श्याम श्वेत सन्देश वाहक
प्रथम रश्मि के साथ आए
कुनकुनी धू  साथ लाए
जाने कहाँ से उड़ कर आते 
पंक्तिबद्ध दाना चुगते 
बिना बात तकरार न करते
गुटरगूं करते  पंख फड़फड़ाते  
गर्दन हिला संतुष्टि दर्शाते
नियमित तुम्हारा आना
आकर रोज दाना खाना
दाना समाप्त होते ही
फुर्र से कहीं उड़ जाना
यह सब तुमने सीखा कहाँ से
ना तो कभी समय चूकते
ना ही पंक्ती आगे पीछे
 पंखों की गति तक होती एकसी
आगे पीछे ऊपर नीचे
बिलकुल अनुशासित सैना जैसे
नियमबद्ध आचरण तुम्हारा
उनको प्रेरित करता होगा
उन्होंने कवायत करना
तुमसे ही सीखा  होगा
समूह में तुम्हारा रहना
आपस का मेलमिलाप भाईचारा
है अनुपम उदाहरण अनुशासन का
कहलाते तुम शान्ति के प्रतीक
और  शान्ति के परिचायक
जाने कब आते कहीं चले जाते
हम यह भी जान न पाते
तुम कहाँ गुम हो जाते
 तुम रात्रिकालीन विश्राम करते
कहीं किसी वृक्ष पर
किसी  कोटर में
कभी गुटुरगूं करते
प्रातःकाल के इन्तजार में
हम भी प्रतीक्षारत रहते
तुम्हारा इंतज़ार करते
दाना डाल प्रतीक्षा करते 
प्रतिदिन राह तुम्हारी देखते |
आशा   

14 दिसंबर, 2016

रिश्ते


जाने अनजाने जाने कब
ये रिश्ते अनूठे
इतने अन्तरंग हुए 
जान नहीं पाया आज तक 
वे गले का हार हो  गए |
जब भी वे करीब होते 
दूरी का भय बना रहता 
दूर होते ही उनसे
बेचैनी का  आलम होता |
हैं कितने अनमोल वे
अब परख पाया उन्हें
हो गए इतने विशिष्ट
कि हमराज मेरे  बन गए |
 
 आशा





12 दिसंबर, 2016

कौन सा राज




कौन सा राज छुपा है
उसके बहानों में
देने से क्या लाभ ताने
सत्य तक 
न पहंच पाने में
भरोसे पर दुनिया टिकी है
जब इसे स्वीकारोगे
मानो या न मानो
तभी विश्वास कर पाओगे
उसने क्या गुनगुनाया
कौन सा गीत गाया
तभी जान पाओगे  
क्या बात छिपा रखी थी उसने
अपने  रचाए गानों में |
आशा




11 दिसंबर, 2016

हाईकू



१-
छू पद रज
शिला हुई अहिल्या
राम कृपा से |
२-
चढ़ने न दे
लकड़ी  की है  नौका
माझी नकारे |
३-
पैर पखारे
माझी पार उतारे
पुण्याशीश ले |
४-
राम वन में
सिया अनुज संग
पाप मिटाएं |
५-
सीता हरण
राम सह न पाए
हुए अधीर |
६-
वह राज क्या
उसके साथ गया
खुल न सका |
आशा