22 नवंबर, 2015

मुक्तक

तारे  आसमान में के लिए चित्र परिणाम
 टिमटिमाते तारे देखे खुले आसमान में
देख उन्हें दीपक जलाए मानव ने जहान में
सृष्टि के कण कण में छिपे कई सन्देश
हम शिक्षा लेते उन्हीं से जीते नहीं अनुमान में |


मौसम बीता गरमीं गई 
ठंडा दिन और रात हुई 
मिन्नतें हजार करते रहे 
गर्म मिजाज़ी कम न हुई |

मुक्त आकाश में उड़ती हुई 
स्वतंत्रता की  ध्योतक वही 
चिड़िया जैसा उड़ना चाहूँ 
रहा मेरा अरमान यही |


आशा

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