08 सितंबर, 2015

तोड़ कमियों का


समस्या का समाधान के लिए चित्र परिणाम
कमियों को मैं क्या गिनाऊँ
 लगता असंभव गणन उनका
हल कोई नहीं दीखता
 उनसे उबरने का
यही क्या कम है
की  अहसास मुझे है
उनसे उत्पन्न समस्याओं का
जब से है वे साथ 
उथल पुथल मन में रहती
बेचेनी बनी रहती
हल तब भी  न मिलते   
किये प्रयास व्यर्थ जाते  
समय बिगड़ता फिर भी  
तोड़ उनका न निकला  
यही बात मुझे सालती
कुछ कर नहीं पाती
कितना भी अच्छा सोचूँ
कहीं चूक हो ही जाती
रेत  हाथों से फिसल जाती  
कमियाँ हावी होने लगतीं
 पश्च्याताप सच्चे मन से
होता तोड़ माना
वह भी न कर पाती
मन मसोस कर रह जाती |
आशा

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