24 सितंबर, 2015

कच्ची सड़क

सूरज की तपिश से दूर रखती
छन छन कर आती धूप
बहुत सुकून देती
मार्ग सुरम्य कर देती |
आच्छादित वृक्षों से
मार्ग पर चलने की चाहत
दौड़ने भागने की मंशा
बलवती कर देती |
जब भी अवसर मिलता
या सैर का मन होता
पेड़ों की छाया गिनते जाते
दूर तक निकल जाते |
गुनगुनाते आगे बढ़ते
 गीत का मुखड़ा याद रहता
अंतरा भूल जाते
गीत अधूरा भी आनंद देता |
लाल मिट्टी पर पेड़ों के  अक्स
उनका  लंबा छोटा होना
छाया पकड़ने की कोशिश में
अनवरत व्यस्त रहना
एक खेल सा हो जाता
रास्ता मस्ती में कट जाता |
चलते चलते जब थकते
शरण पेड़ की छाया देती
आगे बढ़ने की क्षमता जगती
कुछ पल वहां कट जाते |
दूरी कब कम हो जाती
मन चंचल जान न पाता
उस  राह पर चलने का
मोह छूट न पाता |
दोपहर में वहां चलना
तनिक भी कष्ट न देता
कितना भी बोझ बस्ते का हो
वह हल्का ही लगता
घंटी की आव़ाज सुनते ही
द्रुत गति से भागते
मौज मस्ती भूल जाते
पढ़ने में व्यस्त हो जाते |
भीड़ भाड़ से दूरी है
विशेषता उस मार्ग की 
है हर मौसम में सुखदाई
वह राह बहुत मन भाई |
गुल्ली डंडा हो या क्रिकेट 
  याद  वही मार्ग आता 
बच्चों के लिए वही
खेल का मैदान होता |
 |
आशा













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