04 अगस्त, 2015

यारी

vyast apne aap men के लिए चित्र परिणाम
जब थल से थी यारी जल की
तब कभी उंगली न उठी
जलती थी जब धरा
वर्षा लगी बहुत प्यारी
अब अचानक क्या हुआ
किस नज़र का जुल्म हुआ
न रही चिंता धरती की
ना ही फिक्र जल प्लावन की
हुए व्यस्त अपनी दुनिया में
ना ही रात की खुमारी गई
अभी तक बिस्तर नहीं छूटा
उससे बहुत यारी रही |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: