12 जुलाई, 2015

बंसी



sमुरली कान्हा की के लिए चित्र परिणाम

बांस से बनी बांसुरी
 छू कर कान्हां के अधर
बजने लगी मधुर धुन में
डूबी है प्रेम रस में |
सुर  गहराई से निकले
 सुध बुध भूल  गोपियाँ
थिरकने लगीं
खोने लगीं उसी धुन में |
भूली सारे काम काज
बस एक बात ध्यान रही
कान्हां उनके मन में समाए
उन पर जादू कर गए |
वे कान्हां की हो रह गईं
आज भी  हैं कर्ण  उत्सुक
वही मधुर धुन सुनने को
कान्हां के दर्शन को |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: