05 मई, 2015

क्या मांगूं ?

धरवार है परिवार है 
बच्चों की बहार है
कुछ भी कमीं नहीं
फिर तुझसे क्या मांगूं |
प्यार है दुलार है
धनधान्य है सब कुछ है
जीवन में रवानी है
मैं तुझसे क्या मांगूं |
बस अब एक ही
बात है शेष
जीवन की चाह नहीं है
इसी लिए तुझसे
मुक्ति मार्ग मांगूं |
आशा

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