11 फ़रवरी, 2015

अग्नि





आहुति देती
दीपशिखा अपनी
मार्ग दिखाती !
अनोखी गल्प
जंगल में आग सी
फैलती गयी !
जंग की आग
विनाश की कगार
है अभिशाप !
सूर्य का तेज
अग्निपुंज प्रखर 
होता विशिष्ट !
आशा

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