04 जून, 2014

बिछोह





बिछोह
एक चिड़िया रंग बिरंगी
चहकती फुदकती दाना चुगती
उड़ान भरती अपने  साथी संग
उमंग उसकी छिपाए न छिपती |
पर अचानक एक दिन
किसी दुष्ट की निगाह पड़ गई
जोर का प्रहार किया
दोनो आहात हुए पर उड़ चले |
दिग्भ्रमित हो राह भूले
बिछड़े एक दूसरे से
खोजा रहवास अपना
पर उस तक पहुंच नहीं पाए  |
चिड़िया थक कर हुई  चूर  पर निंद्रा से दूर
रात्री में वह सोच रही
साथी न जाने कहाँ होगा
क्या वह भी उसे खोजता होगा |
सारे प्रयत्न असफल रहे
ना मिलना था ना  मिल पाए
था विधि  का विधान यही
बिछुडना प्रारब्ध था उनका |
आशा

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