19 जून, 2014

तेरी पाती








मैं धरती तू गगन
कैसे पहुंचू तुझ तक
दूरी कम न  होती
यही सह न पाती  |
उग्र हुआ तपता सूरज
तेरा ताप न कम होता
मैं कैसे धीर धरूं
शीतल हो न पाऊँ |
रेल की पटरियों सी
जीवन शैली दोनों की
चलती जाती दूर तलक
दूरी कम न होती |
हम दो ध्रुव धरा के
एक साथ नहीं होते
पर  है बहुत समानता
जिसे झुटला नहीं सकते |
यही बात मुझे तुझ तक
जाने कब ले आती है
दूरी दूरी नहीं लगती
जब तेरी पाती आती  |
आशा

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