30 मार्च, 2014

बड़े बैनर तले

बड़े बैनर तले
खोली एक दुकान
बड़ा सा शोरूम बनाया
कर्मचारियों की फौज वहां
दिखावा है भरपूर
पर ना ही मानक
गुणवत्ता का
नाहीं मिले कुशल कारीगर
अब पछतावा हो रहा है
आखिर क्या मिला वहां
ऊंची दुकान फीके पकवान
किसी ने सच कहा है
जो चमकता है वह सोना नहीं |
आशा

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    --
    आपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल सोमवार (31-03-2014) को ''बोलते शब्द'' (चर्चा मंच-1568) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर…!

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  2. बहुत ही सार्थक प्रस्तुति,आभार।

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