28 मार्च, 2014

उनका वैभव



खेतों के उस पार
अस्ताचल को जाता  सूरज
वृक्षों के बीच छिपता छिपाता
सुर्ख दिखाई देता सूरज |
पीपल के पेड़ पर
पक्षियों ने डेरा डाला
कलरव सुनाई देता उनका
फिर अचानक शान्ति हो गयी
उनकी रात हो गयी |
अब घरों की छत पर
शाम उतर आई है
आसमान भी हुआ धूसर
पर छत पर बहार आई है |
बच्चे कर रहे धमाल
तरह तरह के करतब करते
नए नए गानों पर थिरकते
चेहरे पर थकान का नाम नहीं |
मस्ती ही उनका वैभव
यह जीवन लौट कर न आएगा
यादों में समा जाएगा
बचपन की सौगात सा |
आशा

15 टिप्‍पणियां:

  1. बच्चों के संसार और गतिविधियों को सुंदर शब्दों में वर्णित किया है ! बढ़िया रचना !

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  2. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  3. कोई लौटा दे मेरे बचपन के दिन
    बहुत भावभीनी अभिव्यक्ति.

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