01 मार्च, 2014

कई रंग



  1. सूर्य विमुख
    पर चंदा रौशन
    उसी ऊर्जा से |



    मेरी दो आँखें
    चाँद व सूरज से
    मेरे दो बेटे |

    की कलकल
    पहाड़ों में नदी ने
    स्वर मधुर |
     
    दृश्य सुन्दर
    हरा भरा पर्वत
    बहती नदी |


    सहेजे रिश्ते
    अंखियों के जल से
    धूमिल हुए |



    हैं रिश्ते ऐसे
    कटु होते या मीठे
    कैसे बताते |
    आशा



5 टिप्‍पणियां:

Your reply here: