01 नवंबर, 2013

दीवाली



दीप मालिका के बिना , सूना लगता ग्राम |
धुप दीप मिष्ठान बिना, है अधूरा अनुष्ठान ||

दीवाली त्यौहार की, धूम न नजर आई |
लक्ष्मीं जी के स्वागत की , जब शुभ घड़ी आई ||

सर्वप्रथम गृहणी सजी ,चमकाया घर द्वार |
की  प्रतीक्षा उत्सुक हो ,कर सोलह श्रृंगार ||

बालक पीछे ना रहे ,झटपट हुए  तैयार |
आए पटाखे फुलझड़ी,लेकर अपने साथ ||

फिर भी कहीं कमी रही ,चहरे रहे उदास |
मंहगाई की मार से ,कुछ बन न पाया ख़ास ||
आशा