18 सितंबर, 2013

घरोंदा



तेरी जुल्फ़ों की छाँव तले
एक स्वप्न सजाया मैंने
प्यार  की सौगात से
एक घरोंदा  बनाया मैंने |
है यही मंदिर मेरा
छोटा सा संसार मेरा
छोटी बड़ी खुशियों का
है अपूर्व भण्डार यहाँ |
दिन भर धटती घटनाओं से
जब कभी क्लांत होता हूँ
पा कर सान्निध्य तेरा
चिंता मुक्त होता हूँ |
यहाँ बिताए हर पल से
जो सुकून मिलता है
तेरी पनाह में रहने का
ख्याल सजीव रहता है
क्षय होता पल पल कहता है
जिन्दगी जी भर कर जी ले
मन में कोइ साध न रहे
सभी पूर्ण कर ले |

15 सितंबर, 2013

नाता तेरा मेरा



जन्म से आज तक
 कष्टों से नाता रहा
तुझ को न भूल पाया
तुझ में खोना चाहा |
हैं प्रश्न  अनुत्तरित
बारम्बार सताते  फिर भी
है तेरा मेरा क्या नाता
 यह जग मुझे क्यूं भाता
यह छूट क्यूं नहीं पाता ?
है  एक सेतु दौनों के बीच
इह लोक से जाने के लिए
तुझसे मिलने के लिए
पर इतना सक्षम नहीं
स्वयं पहुँच नहीं पाता  |
जाने कितनों को पहुंचाया
हर बार बापिसी हुई
पृथ्वी पर भार बढाया
आकांक्षा अधूरी रही |
तुझे खोजने में
तुझ तक पहुँचने में
त्रिशंकु हो कर रहा गया
प्रश्न वहीं का वहीं
अनुत्तरित ही रहा
है तेरा मेरा क्या नाता
आशा