18 दिसंबर, 2013

हाइकू (२)


(१)
सपने कभी
नही होते अपने
हरते चैन |
(२)
की मनमानी
उलझी सपनों की
दीवानगी में |.
(३)
बड़ों की सीख 
मान स्वप्न  दीवानी
मैं मैं न रही |
(4)
चेहरा तेरा
दर्प से चमकता
सच्चे मोती सा |
(५)
रिश्ता प्यार का
निभाना है कठिन
आज ही जाना |
(६)
यूं न देखते
सोचते समझते
तुझे निभाते |
(७)
किया अर्पण
पूरा जीवन तुझे
तूने जाना ना |

आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (18-12-13) को चर्चा मंच 1465 :काना राजा भी भला, हम अंधे बेचैन- में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत दमदार एवँ सार्थक हाईकू ! अति सुंदर !

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  3. किया अर्पण
    पूरा जीवन तुझे
    तूने जाना ना ।

    प्रशंसनीय अभिव्यक्ति।

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  4. सशक्त भावपूर्ण हाइकु

    किया अर्पण
    पूरा जीवन तुझे
    तूने जाना ना |

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  5. बहुत ही खूबसूरत रचना......... सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं

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