18 अगस्त, 2013

है आज सूनी कलाई



है आज सूनी कलाई
बहिन तू क्यूँ नहीं आई
कितना प्यार किया तुझको
फिर भी भूल गयी मुझको |
किस बात पर रूठी है
बताया तो होता
मैं सर के बल चला आता
तुझे लेने के लिए |
तेरी ममता की डोर
 इतनी कच्ची होगी
कभी सोचा नहीं था
तेरे बिना है त्यौहार अधूरा
कभी सोचा तो होता |
नहीं चाह फल मिठाई की
ना ही भेट उपहार की  
तेरी स्नेह भरी एक
 निगाह ही काफी है मेरे लिए |
छोटा हूँ सदा छोटा ही रहूँगा
तुझसे अलग ना जी पाऊंगा
केवल प्यार की है दरकार
वही है नियामत मेरे लिए |
आशा

23 टिप्‍पणियां:

  1. रक्षाबंधन पर यह कमी तो सालती ही है, बहुत सुंदर भाव.

    रामराम.

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  2. बहुत भावपूर्ण एवँ तरल सरल रचना ! मन को भिगो गयी ! बहुत सुंदर !

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  3. भावपूर्ण रचना .... रक्षाबन्धन की शुभकामनायें !

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  4. भाई बहन के प्रेम के भाव लिए हुए बहुत बेहतरीन रचना !!

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  5. भावपूर्ण सुन्दर रचना .... रक्षाबन्धन की शुभकामनायें !

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    उत्तर
    1. आपको भी हार्दिक शुभ कामनाएं रक्षाबंधन पर

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  6. अनोखा बंधन
    अनोखा प्यार
    है ये राखी का
    त्यौहार
    बचपन की यादें
    खूब सारा लाड़-प्यार
    अनोखा है आज भी
    ये राखी का त्यौहार ||

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  7. बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार

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