30 जुलाई, 2013

शाम ढले




9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर !..कल आने का वादा कर जाता है..

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  2. बढ़िया प्रस्तुति है आदरेया-

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  3. सूरज का प्रेम ,पृथ्वी के लिए किसी शर्त या सीमाओं से परे होता हैं |
    एक शाम संगम पर {नीति कथा -डॉ अजय }

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  4. बहुत प्यारी अभिव्यक्ति ! आज कई दिनों के बाद वक्त मिल पाया है ! देर से आने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ !

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