20 जुलाई, 2013

आत्मबल


आस्था का संबल पा
अवधान को जागृत किया
मेकल सुता की धारा में
कांछ कांछ मन निर्मल किया |
दीपक, बाती , स्नेह से
मन मंदिर का दीप जला
अभ्यर्थना के थाल को सज्जित  
 पत्र ,पुष्प कुमकुम  से  किया  |
जब पग बढाए राह पर
झंझावात से नहीं डरे
दीपक की लौ कपकपाई
बाधित वह भी नहीं हुई |
अधिक उजास से भरी
मार्गदर्शक बन उसने
कर्तव्य पूर्ण अपना किया |
आत्म बल से परिपूर्ण
उस पथ पर जाने वालों को
बाँध कर ऐसा रखा
तनिक भी भटकने न दिया |

24 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (21 -07-2013) के चर्चा मंच -1313 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  2. आत्मबल ही सही रास्ता दिखाता है -अति सुन्दर
    latest post क्या अर्पण करूँ !
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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए शुक्रिया!

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  4. आत्मबल के महत्त्व को उजागर करती सशक्त प्रस्तुति ! बहुत सुंदर रचना !

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  5. आज 22/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  6. सार्थक भाव लिए बहुत ही सुंदर भावभिव्यक्ति ...

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  7. बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति आदरणीया....

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है

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