20 नवंबर, 2012

परिवर्तन मौसम का

सर्दी का अहसास लिए सोए थे 
पौ फटे जब नींद खुली 
आलस था खुमारी थी 
जैसे ही कदम नीचे रखे 
दी दस्तक ठिठुरन ने
घर के कौने कौने में 
सोचा न था होगा परिवर्तन 
इतने  से अंतराल में 
हाथों में पानी लेते ही 
कपकपी होने लगी 
गर्म प्याली चाय की 
दवा रामबाण नजर आई 
जल्दी से स्वेटर पहना 
कुछ तो गर्मी आई 
खिडकी से बाहर झांका 
समय रुका नहीं था 
थी वही गहमागहमी
बस  जलता अलाव चौरस्ते पर 
कुछ लोगों में बच्चे भी थे 
जो अलाव ताप रहे थे 
थे पूर्ण अलमस्त 
हसते थे हंसा रहे थे 

खुशियों से महरूम नहीं 
 किसी मौसम का प्रभाव नहीं 
जीने का नया अंदाज
वहीं   नजर आया 
सारी  उलझनें सारी कठिनाई 
अलाव में भस्म हो गईं
थी केवल मस्ती और शरारतें 
कर लिया था सामंजस्य 
प्रकृति में  होते परिवर्तन से |
काश हम भी उनसे हो पाते 
तब नए अंदाज में नजर आते |
|
आशा


8 टिप्‍पणियां:

  1. अपनी सर्दी....उनकी सर्दी...
    बहुत भावभीनी रचना है...

    सादर
    अनु

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  2. वाकई इस सर्दी ने ये अहसास दिलाना शुरू कर दिया है

    जवाब देंहटाएं
  3. सर्दियों का इतना भाव-भीना स्वागत ,बहुत बढ़िया आशा जी

    जवाब देंहटाएं
  4. मौसम को बूझती सुन्दर पंक्तियां ....

    जवाब देंहटाएं
  5. परिवर्तन मौसम का

    सर्दी का अहसास लिए सोए थे
    पौ फटे जब नींद खुली
    आलस था खुमारी थी
    जैसे ही कदम नीचे रखे
    दी दस्तक ठिठुरन ने
    घर के कौने कौने में
    सोचा न था होगा परिवर्तन
    इतने से अंतराल में
    हाथों में पानी लेते ही
    कपकपी होने लगी
    गर्म प्याली चाय की
    दवा रामबाण नजर आई
    जल्दी से स्वेटर पहना
    कुछ तो गर्मी आई
    खिडकी से बाहर झांका
    समय रुका नहीं था
    थी वही गहमागहमी
    बस जलता अलाव चौरस्ते पर
    कुछ लोगों में बच्चे भी थे
    जो अलाव ताप रहे थे
    थे पूर्ण अलमस्त
    हसते थे हंसा रहे थे

    खुशियों से महरूम नहीं
    किसी मौसम का प्रभाव नहीं
    जीने का नया अंदाज
    वहीं नजर आया
    सारी उलझनें सारी कठिनाई
    अलाव में भस्म हो गईं
    थी केवल मस्ती और शरारतें
    कर लिया था सामंजस्य
    प्रकृति में होते परिवर्तन से |
    काश हम भी उनसे हो पाते
    तब नए अंदाज में नजर आते |
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    आशा
    बढ़िया रचना है आशा जी (कंपकंपी ,खिड़की ,वही नजर आया ,हँसते ,)शुक्रिया इस प्रस्तुति के लिए .

    जवाब देंहटाएं
  6. सर्दी की आमद का बहुत सुंदर शब्द चित्र खींचा है ! सच जो मज़ा अलाव तापने में है वह रूम हीटर की गर्मी में कहाँ ! बढ़िया रचना !

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