16 सितंबर, 2010

बहुत वेदना होती है ,

बहुत वेदना होती है ,
जब कोई बिछुड जाता है,
सदा के लिए चला जाता है ,
बस रह जाती हैं यादें ,
हर क्षण याद आता है ,
मन व्यथित कर जाता है ,
उसका भोला पन ,
और चंचल चितवन ,
इधर उधर थिरकते रहना ,
जब भी पास से गुजरे ,
धीरे से पीछे आना ,
अपने इर्द गिर्द ही पाना ,,
अनगिनत झलकियां उसकी ,
मस्तिष्क पटल पर छा जाती हैं .,
बार बार रुला जाती हैं ,
हर आंसू श्रद्धान्जली बनता है ,
अंजुली भर फूल बनता है ,
उस पर चढा दिया जाता है ,
वह बहुत याद आता है ,
उसकी अदाओं की,
याद भर बाकी रह गई है ,
वह तो शायद भूल गया हो ,
हम उसे भुला नहीं पाते ,
हर पल उसके पीछे ,
साये कि तरह ,
भागना चाहते हैं ,
पर मंजिल तक,
पहुच नहीं पाते ,
वह कहीं शून्य मैं,
विलीन हो गया है ,
हमसे दूर बहुत दूर,
चला गया है |
आशा

9 टिप्‍पणियां:

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  2. बिलकुल सत्य कह रही हैं आप ! आजकल इसी मनोदशा से ग्रस्त हूँ मैं भी ! आपका हर शब्द मेरी व्यथा का द्योतक है ! आभार !

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  3. आदरणीया आशा अम्मा
    प्रणाम !
    बहुत ही संवेदनशील रचना है ।
    लेकिन …
    होई है सो ई जो राम रचि राखा
    शुभकामनाओं सहित …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  4. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि -
    कोमल भाव -
    शुभकामनाएं -

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  5. सार्थक रचना ..जीवन के सत्य को कहती हुई

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